एक लड़की है जो मुझे मुझसे ज्यादा जानती है
जो लफ्ज़ जुबा तक नहीं आते मेरे वो उन्हें भी पहचानती है | एक लड़की है जो मुझे मुझसे ज्यादा जानती है| सूझबूझ में मुझसे आगे है ,वह थम जाती है जब दुनिया भागे हैं ,मसरूफ रहती है ना जाने किस गांव में त्योहारों में, पायल पहनती है वोअपनी पांव में/ मेरी कहानियां को बड़े इत्मीनान से सुनती है मेरे शब्दों पर पलकें रखकर शायद वह भी ख्वाब बुनती है| कुछ छुपाती हूं उससे तो ना जाने कैसे जान जाती है ,वह हर बार मेरा मुखौटा हटाकर मेरी सच्चाई पहचान जाती है| पर उसे रास्तों की परवाह नहीं है वह खुद को ही लहर मानती है| एक लड़की है जो मुझे मुझसे ज्यादा जानती है |मैं ना सुनू तो गुस्से में आती है |मैं सुन लूं तो मुस्कुराती है मैं उदास हूं तो समझाती है ,चुप हूं तो सहलाती है, मैं खफा हूं तो, ना ही मुझे मनाती है ,मेरी नाकामयाबी पर अपना हक जताती है |वह थोड़ी बेसुरी है पर गाकर सुनाती है| मैं परेशान ना करूं तो परेशान हो जाती है| इतनी तिलस्मानी हो कर भी वह मुझसे अपना दोस्त मानती है| एक लड़की है जो मुझे मुझसे ज्यादा जानती है| हां मैं उससे मजाक बेहद करती हूं, पर उसे खोने से डरती हूं |उसकी नापसंद भी मुझे पसंद है...
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